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तजुर्बा

यह पुस्तक "तजुर्बा" "भानू" प्रतापगढ़ी द्वारा लिखी गयी है...
यह किताब पेपर बैक में जल्द आ रही है....

किताब के बारे में......
ज़िंदगी के सफ़र में जो भी तजुर्बे हुए हैं उन बातों का ज़िक्र है इस किताब में। मेरे जीने का नज़रिया ही कुछ ऐसा रहा है कि शायरी मेरे हर कदम पर ढलती रही और कलम के सहारे कागज पर उतरती रही। आगाज शायराना अंदाज शायराना, इस ज़िंदगी का हर पल हर राज शायराना। मैंने कभी भी लिखने की कोशिशें नहीं की, बस खुद ब खुद बना हर अल्फ़ाज़ शायराना।। डायरी के कुछ पन्ने सामने हैं जिनमे तजुर्बों की एक महक महसूस होगी जो मैंने जिया है। अगर आपका प्यार मिला तो पूरी डायरी आपके सामने होगी। शायरी कभी गढ़ी नही जा सकती महसूस की जा सकती है। पढ़कर समझना मुमकिन नही डूबकर इसे अच्छी तरह महसूस किया जा सकता है।

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